Crossings Republik (Ghaziabad) : Dumping Ground in Dundahera to remain


डूंडाहेड़ा डंपिंग ग्राउंड में एटूजेड कंपनी बनाएगी कंपोस्ट प्लांट

Dec 13, 07:17 pm
गाजियाबाद, वसं : इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। नगर निगम ने एटूजेड कंपनी को डंपिंग ग्राउंड स्थल पर कंपोस्ट खाद का प्लांट लगाने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह प्लांट पीपीपी मॉडल के आधार पर बनेगा। जबकि जल निगम की सी एंड डीएस इकाई एसएलएफ (साइंटिफिक लेंडफिल ) तैयार करेगी। नगर आयुक्त बसंत लाल ने कंपनी तथा जल निगम के अधिकारियों के साथ सोमवार को बैठक की और एक सप्ताह के भीतर हर हाल में कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।
बैठक के बाद नगर आयुक्त ने बताया कि कुल 14 एकड़ भूमि पर डंपिंग ग्राउंड बनाया जाना है। जिसमें सात एकड़ भूमि पीपीपी मॉडल पर एटूजेड कपंनी को दी है। जो इसमें अपना कंपोस्ट प्लांट तैयार करेगी। नगर निगम को इसके निर्माण के लिए कोई शुल्क नहीं देगा। बल्कि कंपनी खुद कंपोस्ट खाद बनाकर बेचेगी और अपने धन की भरपाई करेगी। वहीं जल निगम की सी एंड डीएस शाखा सात एकड़ भूमि पर एसएलएफ तैयार करेगी। ताकि वैज्ञानिक तरीके से कूड़े का निस्तारण कराया जा सके। लाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे शीघ्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी हासिल कर लें।
Source: Dainik Jagran

राह का रोड़ा दूर करने की कोशिश शुरू

8 Dec 2011, 0400 hrs IST

संवाददाता ॥ नवयुग मार्केटडूंडाहेड़ा में प्रस्तावित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की राह में आए रोड़े को जल्द दूर किया जाएगा। जल निगम ने नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग को लेटर लिखकर इस विवाद को निपटाने के लिए कहा है। नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग का कहना है कि जल्द ही इस संबंध में पूरी रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी।
बताया जाता है कि डूंडाहेड़ा में जहां नगर निगम की करीब 14 एकड़ जमीन पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाया जाना है, उस जमीन के बीच में करीब 3000 वर्ग मीटर जमीन किसी और की है। जल निगम ने नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग को लेटर लिख कर इस विवाद के निपटारे के लिए कहा है। नगर निगम के प्रॉपर्टी अफसर टी. पी. वर्मा का कहना है कि लेटर उनके पास अभी नहीं पहंुचा है। लेटर पहुंचने पर कार्रवाई की जाएगी। उधर, जल निगम के अधीक्षण अभियंता टी. एस. अरोरा का कहना है कि उन्होंने नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग के प्रभारी तहसीलदार टी. पी. वर्मा को लेटर भेज दिया है। लेटर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट से जुड़ी जमीन की समस्या का समाधान कराने के लिए कहा गया है।
गौरतलब है कि डूंडाहेड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाने का काम जल निगम की सी एंड डीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सिस्टम) कर रहा है। प्लांट बनाने के लिए वर्ष 2003 में केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने करीब पौने 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी थी। सी एंड डीएस ने प्लांट बनाने का काम शुरू कर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च भी कर दिए हैं। कोर्ट ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट पर फिर से नगर निगम को कार्य शुरू करने के लिए आदेश दिया है। लेकिन अब नया विवाद खड़ा हो गया है। नगर निगम की 14 एकड़ जमीन के बीच में कुछ खसरों में एक अन्य किसान की जमीन का पता चला है। नगर निगम प्रशासन अब इस कोशिश में है कि जल्दी ही इस समस्या का निपटारा कर दिया जाए।

डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड शुरू करने की मांग

23 Sep 2011, 0400 hrs IST
नगर संवाददाता ॥ आरडीसी
डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड की साइट शुरू करने के लिए पार्षद राजेंद्र त्यागी ने नगर आयुक्त बसंत लाल को ज्ञापन सौंपा।
हाईकोर्ट की इलाहाबाद खंडपीठ ने 30 अगस्त को इसी साल डूंडाहेड़ा के डंपिंग ग्राउंड के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। पार्षद त्यागी का आरोप है कि फैसला आने के बाद भी नगर निगम प्रशासन ने अभी यहां साइट शुरू नहीं की है। उन्होंने नगर डंपिंग ग्राउंड की साइट को चालू करने की मांग की है।
त्यागी के मुताबिक हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक संबंधित बिल्डरों से एक-एक करोड़ रुपये एक्सक्लेरेशन कॉस्ट एवं दस-दस लाख रुपये जुर्माना वसूल कर उसे निगम के खाते में जमा करने, डंपिंग ग्राउंड की 6-7 सालों में बढ़ी कीमत का जायजा लेने के लिए नगर निगम द्वारा एक कमिटी बनाने, कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर डंपिंग ग्राउंड की बढ़ी लागत की वसूली संबंधित बिल्डर से वसूलने की मांग भी नगर आयुक्त से की।
डंपिंग ग्राउंड की साइट शुरू करने के साथ वहां कूड़े कचरे से बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी से भी नगर निगम को सहयोग लेने, डंपिंग ग्राउंड के लिए प्रस्तावित 14 एकड़ जमीन पर एक बिल्डर द्वारा प्लॉट का ले-आउट तैयार कर उन्हें बेचने के मामले में नगर आयुक्त से थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की भी मांग की।
पार्षद के मुताबिक डंपिंग ग्राउंड 47 एकड़ जमीन पर बनाया जाना था। 14 एकड़ जमीन नगर निगम की बाकी 33 एकड़ जमीन गांव चिपियाना की सरकारी जमीन थी। यह जमीन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का हिस्सा है। यह जमीन नगर निगम को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से लेने के लिए उसका पुनर्ग्रहण किया जाना चाहिए। उन्हांेने पत्र की प्रति प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास, प्रमुख सचिव नगर विकास, आयुक्त मेरठ मंडल, सीईओ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, डीएम गाजियाबाद और गौतमबुद्घ नगर, मेयर तथा जीडीए वीसी को भी भेजी है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/delhiarticleshow/10083337.cms
हाई कोर्ट ने कैंसल की बिल्डरों की याचिका,
खर्च बढ़ोतरी की एवज में निगम को 1-1 करोड़ देने के आदेश
10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया
प्रमुख संवाददाता/पीटीआई ॥ गाजियाबाद
डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील अंबावनी और जस्टिस के. एन. पांडे ने दो बिल्डरों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपील की थी कि डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाया जाए। कोर्ट ने इस दौरान प्रोजेक्ट के खर्च में हुई बढ़ोतरी की एवज में दोनों बिल्डरों को एक-एक करोड़ रुपये नगर निगम को देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा दोनों पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना भी किया गया है। यह राशि एक महीने में देने के लिए कहा गया है।
इन बिल्डरों के अलावा हाई कोर्ट ने एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के कर्मचारी अनिल कुमार त्यागी की जनहित याचिका को रद्द कर दिया। त्यागी ने भी डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाने की अपील की थी। त्यागी पर एक लाख रुपये का जुर्माना किया गया है।
दूसरी तरफ, प्रोजेक्ट के लिए पिछले साल गालंद में एक्वायर की गई 34.20 हेक्टेयर जमीन के मालिकों की ओर से दायर एक याचिका कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। जीडीए ने पिछले साल प्रोजेक्ट पूरा होने में हो रही देरी के चलते इसकी साइट बदलकर गालंद करने का प्रस्ताव किया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट की जमीन अधिग्रहीत करते वक्त जमीन मालिकों को आपत्ति दर्ज करवाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
हाई कोर्ट ने कहा है कि बिल्डरों ने कोर्ट को गुमराह किया। उनकी वजह से डंपिंग ग्राउंड बनने का काम पांच साल डिले हो गया। इससे इसके खर्च में बढ़ोतरी हुई है। इसी की भरपाई के तौर पर बिल्डरों को एक-एक करोड़ रुपया देने को कहा गया है। गौरतलब है कि दोनों बिल्डरों ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें इस जगह रेजिडेंशल कॉम्पलेक्स बनाने थे और इसके लिए जीडीए को जानकारी दे दी गई थी।
नगर निगम के पार्षद राजेंद्र त्यागी ने हाई कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर डूंडाहेड़ा की जमीन के बारे में तथ्य पेश किए थे। उन्होंने कहा था कि यह जमीन जीडीए की नहीं है , नगर निगम की है। इस पर डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए केंद्र सरकार से वर्ष 2004 में 13 करोड़ रुपये मिले थे। नगर निगम 6 करोड़ रुपये बाउंड्री और गेट बनाने पर खर्च कर चुका है।
राजेंद्र त्यागी के वकील समीर शर्मा ने बताया कि यदि डंपिंग ग्राउंड की कॉस्ट और बढ़ जाएगी , तो बिल्डरों को और अधिक राशि नगर निगम को देनी होगी। गौरतलब है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण डूंडाहेड़ा की बजाय गालंद गांव में डंपिंग ग्राउंड बनाने की तैयारी कर रहा था। अभी तक यह गांव नगर निगम क्षेत्र के बाहर है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने डूंडाहेड़ा की डंपिंग ग्राउंड वाली जमीन का भू – उपयोग बदल कर आवासीय कर दिया थ ा।


बिल्डर करेंगे उच्चतम न्यायालय में अपील
31 Aug 2011
डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद जहां गालंद और इसके आसपास के लोग खुशी मना रहे हैं, वहीं डूंडाहेड़ा और इससे सटे गांवों के लोगों, बिल्डरों और योजना के आवंटियों की की बेचैनी बढ़ गई है। बिल्डर अब इस मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। इतना ही नहीं, अब नई परिस्थितियों में ग्रामीण भी अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं।
बता दें कि मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गालंद में डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण को रद कर दिया और साथ ही डूंडाहेड़ा में डंपिग ग्राउंड बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने में अवरोध उत्पन्न करने पर न्यायालय ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड व क्रासिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को नगर निगम को नुकसान होने की एवज में एक-एक करोड़ रुपये निगम को देने और साथ ही दोनों पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
बदली परिस्थितियों में अब जहां जीडीए और नगर निगम उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नगर आयुक्त बसंत लाल स्पष्ट रूप से कहते हैं कि नगर निगम न्यायालय के आदेशों को लागू करेगा। इसके साथ ही बिल्डर भी उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने की तैयारी में जुट हैं। क्रासिंग में आधा दर्जन बिल्डर हैं। इनमें से सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा कहते हैं कि महायोजना 2021 में डंपिंग ग्राउंड को गालंद में प्रस्तावित किया गया है। इस कारण डंपिग ग्राउंड वहीं बनना चाहिये। उन्होंने कहा, वह न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने यह भी कहा, आवासीय क्षेत्र के पास डंपिंग ग्राउंड नहीं होना चाहिये।
दूसरी तरफ डूंडाहेड़ा समेत कई गांवों के किसान अब पंचायत करने की तैयारी में जुट गए हैं। इसके साथ ही किसान भाजपा के नेता बृजपाल सिंह तेवतिया कहते हैं कि न्यायालय ने सही निर्णय दिया है। इसका सम्मान होना चाहिये। उन्होंने कहा, नगर निगम के कूड़े का निस्तारण होना चाहिये।
Source -Dainik Jagran